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Saturday, June 7, 2025

अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी: खालिस्तानी समर्थकों का जोरदार प्रदर्शन

41st Anniversary of Operation Blue Star in Amritsar: Display of Khalistani Memorials

6 जून 2025 को ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी, जिसे सिख समुदाय "घल्लूघारा" के नाम से याद करता है, के मौके पर अमृतसर में तनावपूर्ण माहौल देखा गया। इस दिन 

 


स्वर्ण मंदिर के बाहर और अंदर खालिस्तानी समर्थकों ने प्रदर्शन किया। 1984 में हुए इस सैन्य अभियान ने सिख समुदाय पर गहरा प्रभाव छोड़ा था, जिसमें स्वर्ण मंदिर से उग्रवादियों को निकालने के लिए भारतीय सेना ने कार्रवाई की थी।


स्वर्ण मंदिर के बाहर खालिस्तानी नारे और प्रदर्शन

कट्टरपंथी सिख संगठनों जैसे दल खालसा और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के समर्थकों ने अकाल तख्त के पास "खालिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगाए। शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के नेता और पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान और सरबत खालसा के कार्यकारी जत्थेदार ध्यान सिंह मंड की मौजूदगी में ये प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तस्वीरें और खालिस्तानी झंडे लहराए, जो 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मारे गए थे।


दल खालसा की भूमिका और भड़काने की कोशिश

दल खालसा ने इस प्रदर्शन में अहम भूमिका निभाई। 5 जून को संगठन ने "घल्लूघारा रिमेंबरेंस मार्च" निकाला, जिसमें खालिस्तानी नारे लगाए गए और 6 जून को अमृतसर बंद का आह्वान किया। बंद शांतिपूर्ण रहा, लेकिन दल खालसा की गतिविधियों को कुछ लोगों ने खालिस्तानी भावनाओं को भड़काने की कोशिश के रूप में देखा। संगठन ने भिंडरांवाले की तस्वीरें प्रदर्शित कीं और खालिस्तान की मांग को जोर-शोर से उठाया।

ऑपरेशन ब्लू स्टार का संदर्भ

ऑपरेशन ब्लू स्टार जून 1984 में भारतीय सेना द्वारा स्वर्ण मंदिर में चलाया गया था, जिसका उद्देश्य जरनैल सिंह भिंडरांवाले और उनके समर्थकों को बाहर निकालना था। इस अभियान में भारी नुकसान हुआ, जिसमें कई लोग मारे गए और अकाल तख्त को क्षति पहुंची। इस घटना को सिख समुदाय एक बड़े आघात के रूप में देखता है और हर साल इसकी बरसी पर प्रदर्शन और प्रार्थनाएं होती हैं।

हाल की घटनाओं का प्रभाव

हाल के हफ्तों में पंजाब में तनाव बढ़ा है। 27 मई 2025 को अमृतसर में मजीठा रोड पर एक संदिग्ध खालिस्तानी आतंकी की विस्फोट में मौत हुई थी। इसके अलावा, 19 मई 2025 को भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाने वाली एक पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमले को नाकाम किया था। इन घटनाओं ने इस साल की बरसी को और संवेदनशील बना दिया।

समुदाय और प्रशासन की प्रतिक्रिया

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने इस मौके पर अरदास की और खालसा पंथ के लिए एकता और शांति की प्रार्थना की। उन्होंने सिख समुदाय से अपने योद्धाओं और शहीदों के नक्शेकदम पर चलने की प्रेरणा ली। पंजाब सरकार या मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन अमृतसर में सुरक्षा व्यवस्था सख्त रही, जिसके चलते कोई हिंसा नहीं हुई।

SGPC की टास्क फोर्स और निहंगों के बीच स्वर्ण मंदिर में झड़प

इस दौरान, स्वर्ण मंदिर के भीतर SGPC की टास्क फोर्स और निहंगों के बीच एक झड़प हुई। SGPC की टास्क फोर्स ने निहंगों को प्रदर्शन स्थल से हटाने की कोशिश की, जिससे तनाव बढ़ गया। इस घटना में कुछ निहंग घायल हुए, और SGPC के कर्मचारियों ने भी चोटें झेलीं। यह झड़प स्वर्ण मंदिर के भीतर की शांति भंग करने वाली घटना के रूप में सामने आई।

निष्कर्ष

ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानी समर्थकों का प्रदर्शन और दल खालसा की गतिविधियां सिख समुदाय की अनसुलझी शिकायतों को दर्शाती हैं। हालांकि दिन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन इन घटनाओं ने पंजाब में अलगाववादी भावनाओं की चुनौती को फिर से उजागर किया। अमृतसर अब सामान्य स्थिति में लौट रहा है, लेकिन यह दिन इतिहास और राजनीति के जटिल पहलुओं की याद दिलाता है।

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