Vancouver, Canada: Journalist Mocha Bazirgan tortured by Khalistanis
खालिस्तानीयों की बेशर्मी अब नई ऊंचाइयों को छू रही है। उनका रवैया ऐसा है, मानो वे लुटेरे हों, जो किसी भी हद तक जा सकते हैं अपनी मांगों को मनवाने के लिए। हाल ही में, एक घटना ने एक बार फिर इनकी असलियत को उजागर कर दिया है, जहां उनका व्यवहार पूरी तरह से लुटेरों जैसा था।
हिंसा और धमकियों का सहारा
इन खालिस्तानीयों ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए हिंसा और धमकियों का सहारा लिया है। वे पत्रकारों, आम नागरिकों, और यहां तक कि कानून लागू करने वालों को भी नहीं बख्शते। उनका रवैया ऐसा है, मानो वे किसी भी नियम-कानून से ऊपर हों। ये लोग अपनी मांगों को मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, चाहे इसके लिए उन्हें दूसरों को नुकसान पहुंचाना पड़े।
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उदाहरण: हाल ही में, Vancouver में एक पत्रकार को इन खालिस्तानीयों ने घेरा, धमकाया, और शारीरिक रूप से हमला किया। उनका व्यवहार पूरी तरह से लुटेरों जैसा था, जहां उन्होंने पत्रकार का फोन छीना, रिकॉर्डिंग बंद करने की कोशिश की, और उन्हें डराया-धमकाया।
#WATCH | Vancouver, Canada: On being physically assaulted by Khalistanis in Vancouver, Canadian Investigative Journalist Mocha Bezirgan, says "It just happened 2 hours ago and I am still shaking. I was surrounded by multiple Khalistanis who acted like thugs. They surrounded me,… pic.twitter.com/QrMWSPbjBw
— ANI (@ANI) June 8, 2025
कानून को अपने हाथ में लेना
इन खालिस्तानीयों का रवैया केवल हिंसा और धमकियों तक सीमित नहीं है। वे अक्सर कानून को अपने हाथ में लेते हैं, और अपनी मांगों को मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनका व्यवहार ऐसा है, मानो वे किसी भी नियम-कानून से ऊपर हों, और उन्हें किसी की परवाह नहीं है।
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उदाहरण: Canadian MP Chandra Arya ने Parliament में इस growing violence को raise किया, जहां उन्होंने journalists को threats और assaults का जिक्र किया।
समाज में डर और असुरक्षा
इन खालिस्तानीयों की हरकतें न केवल कानून और व्यवस्था को चुनौती देती हैं, बल्कि समाज में डर और असुरक्षा की भावना भी पैदा करती हैं। उनका रवैया ऐसा है, मानो वे किसी भी हद तक जा सकते हैं, और उन्हें किसी की परवाह नहीं है।
यह समय है कि हम इन खालिस्तानीयों की बेशर्मी और लुटेरे जैसे रवैये को उजागर करें। हमें इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि वे अपनी मांगों को मनवाने के लिए हिंसा और धमकियों का सहारा न लें। सच तो यह है कि इनकी बेशर्मी और लुटेरे जैसे रवैये को अब और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। हमें इनके खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा, ताकि समाज में शांति और सुरक्षा बनी रहे।
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