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Saturday, August 2, 2025

Honour Killings in Punjab: Media Styles and the Voice of Truth

पंजाब में ऑनर किलिंग: मीडिया की चुप्पी और सत्य वाणी की आवाज

पंजाब, जो कभी अपनी समृद्ध संस्कृति और मेहनतकश लोगों के लिए जाना जाता था, आज ऑनर किलिंग और हिंसक अपराधों की काली छाया में डूब रहा है। पिछले एक साल में, अगस्त 2024 से अगस्त 2025 तक, कई निर्दोष जिंदगियां परिवार और समाज की तथाकथित 'इज्जत' के नाम पर कुचल दी गईं। ये घटनाएं न केवल कानून और व्यवस्था की विफलता को दर्शाती हैं, बल्कि समाज में गहरे बैठे पितृसत्तात्मक और रूढ़िवादी मूल्यों को भी उजागर करती हैं। क्या हमारा समाज इतना असंवेदनशील हो गया है कि हम इन हत्याओं को चुपचाप देखते रहें?

जस्किरत सिंह की हत्या जलन और हिंसक प्रतिद्वंद्विता


पिछले एक साल में पंजाब में हुई प्रमुख हत्याएं

मृतक का नामहत्यारे का नामतारीखकारण
मनिंदर सिंहराम सरूप उर्फ सोधी18 अगस्त 2024लूटपाट के दौरान हत्या
खुरशीदराम सरूप उर्फ सोधी25 अक्टूबर 2024लूटपाट और यौन संबंधों के बाद हत्या
रोंकूराम सरूप उर्फ सोधी25 अक्टूबर 2024लूटपाट और यौन संबंधों के बाद हत्या
सिमरनजीत कौरपरिवार के सदस्य15 सितंबर 2024जाति से बाहर शादी के लिए ऑनर किलिंग
बलविंदर सिंहअज्ञात (गैंग प्रतिद्वंद्विता)20 नवंबर 2024गैंग प्रतिद्वंद्विता
प्रीति शर्मापति और ससुराल वाले5 जनवरी 2025दहेज हत्या
गुरप्रीत सिंहव्यापारिक साझेदार10 मार्च 2025वित्तीय विवाद
मंगत राय मंगाअज्ञात (बाइक सवार)12 अप्रैल 2025व्यक्तिगत दुश्मनी
कमल कौर (कंचन कुमारी)अमृतपाल सिंह मेहरों, जसप्रीत सिंह, निमरतजीत सिंह9 जून 2025नैतिक पुलिसिंग, आपत्तिजनक सामग्री
जस्किरत सिंह जस्सारमनदीप सिंह (रमन)29 जुलाई 2025पुरानी दुश्मनी और जलन

ऑनर किलिंग: समाज का काला सच

उपरोक्त सूची से स्पष्ट है कि पंजाब में हिंसा और अपराध की जड़ें गहरी हैं। खासकर ऑनर किलिंग और दहेज हत्या जैसे मामले समाज में महिलाओं और युवाओं की स्वतंत्रता पर लगाम लगाते हैं। कमल कौर की हत्या, जो सोशल मीडिया पर अपनी अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती थी, और सिमरनजीत कौर की हत्या, जो जाति से बाहर शादी करने की सजा थी, यह दर्शाती हैं कि पंजाब में रूढ़िवादी सोच कितनी खतरनाक हो चुकी है। परिवार और समाज की तथाकथित 'इज्जत' के नाम पर निर्दोषों की जानें लेना एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है। क्या यह स्वीकार्य है कि एक महिला को अपनी आवाज उठाने की कीमत अपनी जान से चुकानी पड़े?

पंजाबी मीडिया की शर्मनाक चुप्पी

पंजाब के अधिकांश समाचार चैनल और अखबार इन गंभीर मुद्दों को या तो नजरअंदाज कर देते हैं या सनसनीखेज बनाकर पेश करते हैं। कुछ प्रमुख मीडिया घराने ऑनर किलिंग को 'नैतिकता की जीत' के रूप में पेश करते हैं, जो पीड़ितों के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, कमल कौर की हत्या के बाद, कुछ चैनलों ने हत्यारों के दावों को बढ़ावा दिया, जिसमें उनकी सामग्री को 'अनैतिक' बताया गया। यह न केवल पत्रकारिता का अपमान है, बल्कि समाज में गलत संदेश फैलाने का काम करता है। जस्किरत सिंह की हत्या को भी कई मंचों ने 'व्यक्तिगत विवाद' बताकर खारिज कर दिया, जबकि इसके पीछे की सामाजिक समस्याओं—जैसे जलन और हिंसक प्रतिद्वंद्विता—पर कोई चर्चा नहीं हुई। यह एकतरफा पत्रकारिता अपराधियों को शह देती है और पीड़ितों की आवाज को दबा देती है।

सत्य वाणी मीडिया: सच की आवाज

जब पंजाब का अधिकांश मीडिया चुप्पी साधे हुए है, सत्य वाणी मीडिया ने इन मुद्दों को साहसपूर्वक उठाया है। इस चैनल ने न केवल इन हत्याओं की सटीक और निष्पक्ष रिपोर्टिंग की, बल्कि सामाजिक कार्यकर्ताओं, विशेषज्ञों और पीड़ितों के परिवारों के साथ चर्चाएं आयोजित कर समाज में जागरूकता फैलाई है। सत्य वाणी ने ऑनर किलिंग और हिंसा के खिलाफ एक मजबूत आवाज बनकर उभरने का काम किया है, जो पत्रकारिता का असली धर्म है। इस चैनल ने पीड़ितों को न्याय दिलाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।


समाज के लिए आह्वान

पंजाब को इस अंधेरे से बाहर निकालने के लिए समाज को जागना होगा। ऑनर किलिंग और हिंसा जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ हमें एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। क्या हम चाहते हैं कि हमारा समाज ऐसी क्रूरता को चुपचाप सहता रहे? नहीं, हमें सत्य वाणी जैसे मंचों का समर्थन करना होगा, जो सच को सामने लाते हैं और न्याय की मांग करते हैं। पंजाब की जनता को अब खड़ा होना होगा और अपने समाज को एक सुरक्षित, समान और न्यायपूर्ण स्थान बनाना होगा।

Also Read : Is Sanatana Dharma under the government?

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