Translate This Blog in

Sunday, June 22, 2025

Gaggi Pandit's controversial statement: Justifying murder for the society

गग्गी पंडित का विवादास्पद बयान: हत्या को सही ठहराना समाज के लिए खतरा

गग्गी पंडित का विवादास्पद बयान: हत्या को सही ठहराना समाज के लिए खतरा

पटियाला के काली माता मंदिर से जुड़े पंडित ब्रह्मानंद गिरी, जिन्हें 'गग्गी पंडित' के नाम से जाना जाता है, ने हाल ही में 'माय पंजाबी टीवी' पर दिए गए अपने बयान से एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। कमल कौर की हत्या के मामले में, जिसने पंजाब और सिख समुदाय को हिला कर रख दिया है, गग्गी पंडित ने हत्यारे अमृतपाल सिंह मेहरों के कृत्य को सही ठहराने की कोशिश की है। यह लेख इस शर्मनाक और गैर-जिम्मेदाराना बयान की कड़ी आलोचना करता है और समाज में कानून और न्याय की महत्ता पर जोर देता है।

गग्गी पंडित के बयान

गग्गी पंडित ने अपने बयान में कहा कि हत्या को कभी भी सही नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन फिर भी उन्होंने यह दावा किया कि कभी-कभी मजबूरी में ऐसा कदम उठाया जाता है, जब सभी विकल्प खत्म हो जाते हैं। उन्होंने कमल कौर के कंटेंट को 'लाचारपन' करार दिया और सवाल किया कि लोग इस हत्या पर इतना हंगामा क्यों कर रहे हैं, जबकि पंजाब में पहले भी कई हत्याएँ हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कानून है, लेकिन जब कोई व्यक्ति कोई मिशन शुरू करता है, तो वह जुनून की हद तक जाता है। इसके अलावा, उन्होंने सोशल मीडिया पर एक सेंसर बोर्ड की मांग की, ताकि अश्लील कंटेंट पर रोक लगाई जा सके।

आलोचना: एक खतरनाक और शर्मनाक सोच

गग्गी पंडित का यह बयान बेहद शर्मनाक, गैर-जिम्मेदाराना और समाज के लिए खतरनाक है। किसी की हत्या को मजबूरी या किसी व्यक्ति की गलतियों के आधार पर सही ठहराना कानून और न्याय का घोर अपमान है। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता। कमल कौर, भले ही उनके कंटेंट विवादास्पद हों, लेकिन उनकी हत्या को किसी भी रूप में सही नहीं ठहराया जा सकता। यह एक जघन्य अपराध है, और इसके लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। गग्गी पंडित जैसे व्यक्ति, जो खुद को धार्मिक नेता कहते हैं, इस तरह के बयान देकर समाज को गुमराह कर रहे हैं और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। यह न केवल उनकी अज्ञानता को दर्शाता है, बल्कि उनकी नैतिकता पर भी गंभीर सवाल उठाता है।

कानूनी दृष्टिकोण

भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहाँ कानून का शासन सर्वोपरि है। किसी भी अपराध के लिए सजा देने का अधिकार केवल न्यायालय को है। किसी को भी अपने हाथ में कानून लेने की इजाजत नहीं है। कमल कौर की हत्या एक गंभीर अपराध है, और इसके लिए आरोपी को कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए। गग्गी पंडित का यह कहना कि जुनून में ऐसा हो जाता है, कानून की प्रक्रिया को कमजोर करता है और समाज में अराजकता को बढ़ावा देता है।

Also Read :

अमृतपाल सिंह मेहरों: कमल कौर का पासपोर्ट और मोबाइल छीनकर भागा भगोड़ा निहंग

समाज पर प्रभाव

इस तरह के बयान समाज में हिंसा और आत्मनिर्णय को बढ़ावा देते हैं। जब एक तथाकथित धार्मिक नेता इस तरह की बातें करता है, तो यह और भी चिंताजनक हो जाता है, क्योंकि इससे उसके अनुयायी प्रभावित हो सकते हैं। यह एक तरह से हॉनर किलिंग जैसी कुप्रथाओं को जन्म देता है, जो समाज के लिए अभिशाप है। इससे समाज में डर और असुरक्षा का माहौल बनता है, और लोग कानून के बजाय निजी बदला लेने की ओर बढ़ते हैं।

समुदाय की प्रतिक्रियाएँ

पंजाब में कई लोग इस बयान की कड़ी निंदा कर रहे हैं। गायक मिका सिंह ने इस हत्या की निंदा करते हुए कहा कि सिख समुदाय हमेशा दूसरों की रक्षा के लिए खड़ा रहा है, न कि हिंसा के लिए। गग्गी पंडित ने मिका सिंह के चरित्र पर सवाल उठाकर अपनी कमजोरी और गैर-जिम्मेदारी को उजागर किया है। सिख और हिंदू समुदाय के लोग इस हत्या और गग्गी पंडित के बयान की कड़े शब्दों में आलोचना कर रहे हैं।

निष्कर्ष: न्याय की मांग

गग्गी पंडित का यह बयान एक कायरतापूर्ण, घृणित और समाज के लिए बेहद खतरनाक कृत्य है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून का पालन हो और किसी को भी अपने हाथ में कानून लेने की इजाजत न मिले। कमल कौर की हत्या एक दुखद और जघन्य घटना है, और इसके लिए न्याय की मांग की जानी चाहिए, न कि इसे सही ठहराने की कोशिश की जानी चाहिए। गग्गी पंडित जैसे लोगों को उनके गलत विचारों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, और समाज को ऐसी खतरनाक सोच को सिरे से खारिज करना चाहिए।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts